भोपाल के माध्यमिक शिक्षा मंडल में वर्ष 2023 के दौरान बिना कार्यपालन यंत्री की नियुक्ति के करोड़ों रुपये के निर्माण कार्यों के भुगतान में भारी अनियमितताओं का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, वर्ष 2023 में मंडल में कोई कार्यपालन यंत्री पदस्थ नहीं था, जबकि संविदा के माध्यम से दिनांक 20 सितंबर 2023 को एक वर्ष के लिए कार्यपालन यंत्री की नियुक्ति की गई। इस अवधि में उपयंत्री विनोद कुमार मंडराय ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर स्वयं ही निर्माण कार्यों के रनिंग एवं अंतिम देयकों का प्रमाणीकरण कर करोड़ों रुपये का भुगतान करवा दिया।
लोक निर्माण विभाग के वित्तीय शक्तियों की पुस्तिका 1995 के अनुसार, यह अधिकार केवल कार्यपालन यंत्री को होता है, जबकि उपयंत्री को ऐसा कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के देयकों का भुगतान कराना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि विभाग के साथ छल-कपट और धोखाधड़ी भी है। इस गंभीर अनियमितता को देखते हुए विभाग ने एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कर मामला जांच के अधीन कर दिया था पर माध्यम शिक्षा मंडल में किसी भ्रष्टाचार की जांच इतनी आसानी से हो जाए यह संभव ही नहीं क्योंकि माध्यमिक शिक्षा मंडल में एक ही भ्रष्टाचारी नहीं है इस भ्रष्टाचार के खेल में कई अधिकारी अपनी भूमिका निभा रहे हैं जांच कमेटी टीम तो गठित की गई है लेकिन इसमें भी लीपापोती कर के मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी शिकायत माध्यमिक शिक्षा मंडल से रिटायर हुए अब्दुल मुईद खान ने सचिन से लेकर मध्य प्रदेश शासन के शिक्षा मंत्री तक की है लेकिन मुईद खान को न्याय की किरण कहीं से नजर नहीं आ रही है
विनोद कुमार मंडराय पर पहले से भी लंबित हैं शिकायतें, कार्रवाई की मांग तेज
उपयंत्री विनोद कुमार मंडराय के विरुद्ध पूर्व में भी कई शिकायतें दर्ज कराई जा चुकी हैं। शिकायतकर्ता द्वारा 25 नवंबर 2024 और 17 जनवरी 2025 को अध्यक्ष और सचिव माध्यमिक शिक्षा मंडल को प्रस्तुत की गईं शिकायतों में गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि मंडराय ने दस्तावेजों में फर्जी जानकारियाँ अंकित कर विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुँचाया।
शिकायत में तालिका ‘ए’ के अंतर्गत सरल क्रमांक 01 से 21 तथा परिशिष्ट 03 से 23 तक दस्तावेजों को संलग्न किया गया है। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि शीघ्रता एवं पारदर्शिता के साथ समयसीमा में जांच पूरी कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। अगर समय पर जांच करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो इस मामले को उच्च न्यायालय में अपने वकील के माध्यम से चुनौती देंगे इसके साथ ही यह भी आशंका जताई गई है कि जांच लंबित रहने के दौरान उपयंत्री साक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से भवन कक्ष से हटाने की भी मांग की गई है। अब सभी की निगाहें मंडल प्रशासन पर टिकी हैं कि वह कब इस मामले में ठोस कदम उठाता है। या फिर माध्यमिक शिक्षा मंडल में हुए पुराने घोटाले के साथ इस गंभीर आरोप को भी दरकिनार कर उपन्यत्री विनोद कुमार मंडराय को बचाने का प्रयास किया जाएगा।
इनका कहना है–
अतिरिक्त सविन प्रियंका गोयल से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले के लिए जांच समिति गठित कर दी गई थी लेकिन उसमें एक जांच सदस्य का ट्रांसफर हो गया था अब दूसरे सदस्य जोड़कर जांच की जाएगी लेकिन जांच के संबंध में एकल सत्य समाचार पत्र के द्वारा पूछा गया कि कब तक जांच चलती रहेगी तो उन्होंने बताया कि जांच कब तक चलेगी यह स्पष्ट नहीं बता सकते हैं अब यह जांच कब तक होती है और इसकी स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हो पा रही अब देखना यह है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल में इस भ्रष्टाचार की जांच होकर दोषी पर कार्रवाई होती है या फिर इसी तरह से जांच समिति के सदस्य ट्रांसफर होते रहेंगे और ट्रांसफर के नाम पर जांच को लंबे समय तक खींचा जाएगा। ताकि भ्रष्टाचार के आरोपी उप यंत्री विनोद कुमार मंडराय उच्च अधिकारियों से मिलकर शिक्षा मंडल में घोटाले और भ्रष्टाचार करते रहेंगे शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया है कि मां पुस्तिका अधिनियम का उल्लंघन करते हुए उपयंत्री ने इतने निर्माण कार्य करवाए हैं कि उनकी सही से अगर जांच हो जाए तो मध्य प्रदेश में एक और भ्रष्टाचार की गूंज भारत के हर कोने में सुनाई देगी।