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भारत की एकता और मुसलमानों का योगदान: नफरत की साजिशों के खिलाफ एकजुटता ज़रूरी

भारत हमेशा से अपनी गंगा-जमुनी तहज़ीब और सांस्कृतिक एकता के लिए जाना जाता है। लेकिन इतिहास गवाह है कि नफरत की आग लगाने वालों ने इस एकता को तोड़ने का हर बार प्रयास किया, ताकि वे आसानी से सत्ता चला सकें। अंग्रेजों ने भी “फूट डालो और राज करो” की नीति अपनाकर हिंदू-मुसलमानों के बीच भेदभाव का बीज बोया, जिससे वे लंबे समय तक भारत पर हुकूमत कर सके। लेकिन इसके बावजूद भारत के वीरों ने आज़ादी की लड़ाई में एकजुट होकर संघर्ष किया।

स्वतंत्रता संग्राम में अशफाक उल्ला खान, हकीम अजमल खान, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। आज़ादी के बाद भी अब्दुल हमीद, कैप्टन हनीफ उद्दीन, हामिद अंसारी जैसे वीर जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

लेकिन इतिहास यह भी बताता है कि जब-जब भारत की एकता मजबूत हुई, तब-तब कुछ लोग इसे तोड़ने की कोशिश में जुट गए। धर्म और जाति के नाम पर नफरत फैलाकर सत्ता पाने की साजिशें कोई नई बात नहीं हैं। आज भी कुछ ताकतें भारत के मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल उठाकर समाज में दरार पैदा करने की कोशिश कर रही हैं।

हमारा संविधान हर नागरिक को बराबरी का अधिकार देता है और यही भारत की सबसे बड़ी ताकत है। भारत के मुसलमानों ने हमेशा यह साबित किया है कि उनका वतन से प्रेम किसी से कम नहीं। हमें नफरत फैलाने वालों के झांसे में न आकर एकता और भाईचारे को बनाए रखना होगा, क्योंकि हमारा भारत तभी मजबूत रहेगा जब हर धर्म, हर समुदाय के लोग मिलकर इसे आगे बढ़ाएंगे।

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